मेरे इंतजार मे भाभी की चूत लाल हो गई
Antarvasna, hindi sex stories: मैं और संध्या एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे हम दोनों की शादीशुदा जिंदगी अच्छे से चल रही थी लेकिन मेरा ट्रांसफर जब कोलकाता हो गया तो संध्या और मैं एक दूसरे से अलग रहने लगे थे। संध्या मेरे पापा मम्मी के साथ नागपुर में रह रही थी और मैं कोलकाता आ चुका था संध्या स्कूल में पढ़ाती थी इस वजह से वह मेरे साथ नही आ पाई। मैं और संध्या एक दूसरे से फोन पर ही बातें किया करते थे संध्या मुझे अक्सर कहती कि तुम घर कब आ रहे हो मैं संध्या को कहता कि तुम तो जानती ही हो की अभी कुछ ही समय मुझे यहां पर आये हुए हुआ हैं। मुझे सिर्फ तीन महीने ही कोलकाता में हुए थे और मैं चाहता था कि कुछ दिनों के लिए ही सही लेकिन अपने परिवार के साथ मैं समय बिताऊं। मैंने अपनी छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया था और जब मैंने छुट्टी के लिए अप्लाई किया उसके बाद मुझे कुछ दिनों के लिए छुट्टी मिल चुकी थी और मैं अपने घर नागपुर चला गया। संध्या बड़ी खुश थी और वह कहने लगी कि काफी समय बाद तुमसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं अपने घर नागपुर गया तो मैंने भी सोचा क्यों ना हम लोग कुछ दिनों के लिए कहीं फैमिली ट्रिप पर चले। मैंने पापा और मम्मी से इस बारे में कहा तो पापा कहने लगे की ठीक है बेटा मैं अपने ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले लूंगा। पापा ने ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले ली थी और उसके बाद हमारी पूरी फैमिली कुछ दिनों के लिए मेरी बहन के पास मुंबई चले गए। मेरी बहन की शादी को हुए करीब 5 वर्ष हो चुके हैं वह अपने पति के साथ मुंबई में रहती है उनका कपड़ों का बड़ा कारोबार है और मेरी बहन भी अपने पति के साथ कारोबार में हाथ बढ़ाया करती है। जब मैंने अपनी बहन को इस बारे में बताया कि हम लोग कुछ दिनों के लिए मुंबई आ रहे हैं तो वह बड़ी खुश हो गई वह कहने लगी कि तुम लोग कुछ दिनों के लिए मुंबई आ जाओगे तो मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा। जब हम लोग मुम्बई गए तो मेरी बहन बड़ी खुश थी और वह कहने लगी कि तुम लोगों ने बहुत ही अच्छा किया जो कुछ दिनों के लिए तुम मुंबई आ गए।
कुछ दिनों के लिए हम लोग मुम्बई गए थे और सब लोग बड़े इंजॉय कर रहे थे मैं भी बड़ा खुश था कि कम से कम कुछ दिनों के लिए ही सही लेकिन इस बहाने घूमने का मौका तो मिला। अपनी फैमिली के साथ इतने लंबे अरसे बाद हम लोग कहीं घूमने के लिए गए थे तो मैं बहुत खुश था और संध्या भी बहुत ज्यादा खुश थी लेकिन समय का कुछ पता ही नहीं चला की कब दिन बीत गए। हमें मुंबई में काफी दिन हो चुके थे जब हम लोग वापस नागपुर लौटे तो उसके कुछ दिनों बाद मुझे कोलकाता लौटना था, मैं जब कोलकता लौटा तो संध्या बड़ी दुखी थी और पापा मम्मी को भी बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन मेरी नौकरी थी इसलिए मुझे तो वापस लौटना ही था। मैं कोलकाता आ गया था कोलकाता आने के बाद मुझे कुछ दिनों तक तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन फिर मैं मैनेज करने लगा। एक दिन मैं और मेरे ऑफिस के एक दोस्त साथ में बैठे हुए थे मेरे दोस्त का नाम संजय है संजय और मेरी मुलाकात कोलकाता में ही हुई वह मेरे ऑफिस में ही काम करते हैं। संजय जब मेरे घर पर आये हुए थे तो संजय मुझे कहने लगे कि मुकेश कभी आप हमारे घर पर भी आइए। मैंने संजय को कहा कि सर आप तो जानते ही हैं कि मैं अकेला रहता हूं और मुझे कहीं जाना भी पसंद नहीं है। उस दिन मैंने और संजय ने साथ में शराब पी और उसके बाद वह देर रात अपने घर लौट गए थे। संजय मुझे कहने लगे कि मुकेश कभी आप हमारे घर पर आइएगा तो मैंने संजय से कहा हां जरूर मैं आपसे मिलने के लिए आपके घर पर जरूर आऊंगा। मैं अगले दिन अपने ऑफिस गया तो संजय मुझे कहने लगे कि मुकेश तुम्हे मेरे घर पर मेरे बच्चे के बर्थडे पार्टी पर आना है मैंने उन्हें कहा कि हां सर मैं जरूर आऊंगा। उन्होंने हमारे ऑफिस के कुछ लोगों को भी कहा था मैं आज तक संजय जी के घर पर कभी गया नहीं था। उनके साथ मेरी अच्छी बातचीत भी थी इसलिए उन्होंने मुझे जोर देते हुए कहा कि तुम्हें तो जरूर आना है मैंने उन्हें कहा हां सर मैं जरूर आपके घर पर आऊंगा।
उस दिन हम लोगों ने काम खत्म किया और काम खत्म करने के बाद जल्दी ही हम लोग घर आ गए थे। जब मैं अपने घर लौटा तो मुझे संध्या का फोन आया संध्या मुझे कहने लगी मुकेश आप कैसे हैं। मैंने संध्या से कहा मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम यह बताओ कि आज तुम्हारी तबीयत मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही है। संध्या मुझे कहने लगी कि नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है लेकिन मैंने जब संध्या से पूछा की हुआ क्या है तो उसने मुझे बताया कि उसे बुखार था इसलिए आज वह घर पर ही थी। मैंने संध्या को कहा लेकिन तुम्हें मुझे यह बताना चाहिए था संध्या मुझे कहने लगी कि मैंने आपको दोपहर के वक्त फोन किया था लेकिन आप ऑफिस में थे शायद इसीलिए आप मेरा फोन नहीं उठा पाए तो मैंने अभी आपको फोन किया। मैंने संध्या को कहा लेकिन तुम मुझे बता तो दिया करो, यदि तुम्हे कोई भी परेशानी होती है तो तुम मुझसे कह दिया करो। वह कहने लगी की कुछ नहीं मुझे बस थोड़ा सा बुखार है।
मैं और संध्या एक दूसरे से बात कर रहे थे संध्या से मैंने काफी देर तक बात की और फिर मैं खाना बनाने लगा। खाना खाने के बाद मैं खाना खाकर लेटा हुआ था और रात के वक्त मुझे संजय जी के घर पर जाना था उनके बेटे के जन्मदिन में उन्होंने इनवाइट किया था जन्मदिन पर मेरे ऑफिस के कुछ और लोग भी जाने वाले थे। मैं संजय के घर पर पहली बार ही गया गया जब मैं उनके घर गया तो उनके घर के पास ही उन्होंने अपने बच्चे की पार्टी का अरेंजमेंट किया हुआ था और हम लोग भी वहां चले गए। जब हम लोग वहां पर गए तो संजय जी ने उस दिन मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों से मिलवाया उन्होंने मुझे अपनी पत्नी रेखा से भी मिलवाया और अपने पापा मम्मी से भी मिलवाया उस दिन की पार्टी बहुत ही अच्छी रही। मैं बहुत ज्यादा खुश था उस दिन संजय जी की पत्नी रेखा से मेरी बात हुई लेकिन मुझे यह बात नहीं पता थी कि वह चरित्र की बिल्कुल भी ठीक नहीं है। उन्होंने एक दिन मेरे नंबर पर फोन किया उन्होंने शायद संजय जी के फोन से मेरा नंबर ले लिया था वह मुझे फोन करने लगी। मुझे यह बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था मुझे लगा संजय जी मेरे बारे में क्या सोचेंगे। मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह मुझे हर रोज मैसेज करने लगी मैंने यह बात संजय जी को नहीं बताई थी। एक दिन उन्होंने मुझे अपनी नंगी तस्वीर फोन पर भेजी तो उनकी नंगी तस्वीर देख मैंने सोचा क्यों ना मैं भी उनके गोरे बदन के मजे ले लूं। मुझे भी अब उन्हें चोदने का मन होने लगा एक दिन मै उनके घर पर चला गया उस दिन संजय अपने घर पर नहीं थे वह कुछ दिनों के लिए अपने गांव गए हुए थे इसलिए रेखा भाभी ने मुझे बुला लिया। उन्होंने मुझे घर पर बुलाया तो उन्होंने मेरे लिए खाना बनाया था। मैंने उन्ही के घर पर खाना खाया उनके घर पर उनकी बच्चा और वही थी उनके घर पर और कोई भी नहीं था। यह बड़ा ही अच्छा मौका था अब उस रात भाभी मेरे सामने नाइटी पहने हुए खड़ी थी मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था और उनको भी बहुत अच्छा लग रहा था। वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकालकर उसे चूसना शुरू किया तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा। वह मेरे लंड को बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी उन्होंने मेरे लंड को चूसकर पानी बाहर निकाल दिया।
मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बड चुकी थी उनकी चूत से निकलता हुआ पानी अब बढ चुका था। उन्होंने मेरे सामने अपनी नाइटी उतार दी वह मेरे सामने नंगी थी। मैं उनकी चूत को चाटने लगा और उनकी चूत को चाटकर मुझे बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था उनकी गुलाबी चूत को चाटकर मैंने पूरी तरीके से चिकना बना दिया था। उनकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा होने लगा था। वह मुझे कहने लगी मैं तो बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं। मैंने उन्हें कहा मुझसे भी बिल्कुल नहीं रहा जा रहा है अब आप ही बताइए मुझे क्या करना चाहिए। उन्होंने मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया मैंने भी भाभी को धक्का मारना शुरू किया। उनकी चूत के अंदर मेरा लंड जा चुका था जैसे ही मेरा मोटा लंड उनकी चूत के अंदर घुसा तो मुझे मजा आने लगा और उन्हें भी मजा आने लगा था। वह चाहती थी वह मेरे लंड को चूत मे ले मेरा लंड जब उनकी योनि में चला गया तो उन्हें मजा आने लगा और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैंने उनके दोनों पैरों को चौड़ा किया मै जिस तरह उन्हें चोद रहा था उससे मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उनके अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे तुम बस ऐसे ही धक्के मारते रहो मैं उन्हें जिस तेजी से धक्के मार रहा था उससे मुझे बड़ा मजा आने लगा था और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। वह बहुत जोर से सिसकियां ले रही थी उनकी सिसकारियां इतनी अधिक होने लगी थी मेरे लंड से पानी बाहर निकलने लगा था। मैंने उन्हे तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए थे उनका बदन जिस प्रकार से हिल रहा था और मेरे अंडकोष उनकी चूत से टकराते तो मुझे और भी ज्यादा मजा आता। मेरे अंदर की आग बाहर आ चुकी थी मैंने उनकी चूत के अंदर अपने माल को गिराकर उनकी गर्मी को शांत कर दिया।