भाभी की गांड मारी होली में

इधर सुकुमारी भौजी सिसकारियाँ लेती खुले खेत में खुली तरह लेटी थी और मैं उनके ऊपर।

सुकुमारी भौजी के बेड़े जितना दूध 3 महीनों में न पिया होगा उससे अधिक दूध मैंने कुछ ही देर में निकाल दिया।

भौजी ऊपर से खुली हुई निढाल आँखें मींच रही थी और मेरा दूसरा हाथ उनके साड़ी के ऊपर से उनकी बूर को पनिया रहा था।

उधर मैं सुकुमारी भौजी के चूचियों को दबाते हुए उनकी साड़ी को धीरे-धीरे खीचने लगा, ईधर सुकुमारी भौजी मेरे पैंट का चैन खोलकर मेरे 8 इंच के तने लंड को मेरे कसे हुए पैंट से निकालने लगी।

‘हेतना बड़ !’ भौजी ने आश्चर्य से कहा।

इधर मैंने जल्दबाज़ी में सुकुमारी भौजी के सारे कपड़े निकाल दिये।

‘क्या चूत थी !’ चूत के पहले दर्शन से मनमुग्ध हो गया, चूत के चारों तरफ जंगल की भांति घास उसकी अनुपम छटा में चार चाँद लगा रही थी।

मैं आज तक मूठ मारते हुए लाखों पोर्न वीडियो देख चुका था मगर यह चूत उन वीडियो में दिखाई गई चूतों से कहीं अलग थी।

जिंदगी का पहला सेक्स वो भी ब्याही औरत से…

मैंने पूछ ही लिया- सुकुमारी भौजी, पिछली बार कब चुदवाई थी आपने?

‘तुम्हरे भैय्या जब दुबई से आये थे तब !’

मतलब चार बरस के करीब; मैंने मन ही मन हिसाब लगाया और बहुत खुश हुआ क्योंकि अब मुझे कुंवारी जैसी चूत का मज़ा जो मिलने वाला था।

मैंने झट से सुकुमारी भौजी को बाँहों में पकड़ा और उठा लिया, नीचे भौजी ने अपनी साड़ी-चोली और मेरे कपड़े बिछाते हुये बोली- जल्दी से चूत को चोदो वरना झड़ जाऊँगी।

मैंने तुरन्त सुकुमारी भौजी के मुंह तरफ अपना तना हुआ लंड किया और उनकी चूत पर अपना मुंह रखा।

गाँव की औरतें मुंह में लंड नहीं लेती होंगी ऐसा भ्रम मुझे पहले लगता था मगर ज्यों ही मैंने सुकुमारी भौजी की तरफ अपना लंड किया, उन्होंने तुरन्त मेरा आधा सुपाड़ा मुँह के भीतर ले लिया।

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इधर मुझे चूत चाटने में बड़ी दिक्कत हो रही थी क्योंकि सुकुमारी भौजी की झांटें मेरे लंड की लम्बाई से थोड़ी ही छोटी होंगी।

भौजी की झांटे बार-बार मेरे मुंह में आ जाती फिर भी उनकी चूत की क्लिट को मेरी जिह्वा बहुत आसानी से रगड़ बना रही थी।

कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था, मैंने सुकुमारी भौजी के मुंह से हथौड़ा निकलना चाहा मगर उनकी पकड़ के आगे विवश था।

थोड़ी देर में मैंने अपना सारा वीर्य सुकुमारी भौजी के मुख में उड़ेल दिया और दूसरी ओर हो गया।

‘बस राजा, हतने जोर हव, बड़ी ताव से चूची धके झुलत रहला ह !’ भौजी ने चूत में अंगुली डालते हुवे कहा।

सुकुमारी भौजी के ऐसे कर्णभेदी शब्द मेरे लण्ड को खड़ा करने में पुरजोर समर्थन दिखाया और मैं उठ के खड़ा आ।

मैं हारा हुआ बाज़ीगर की तरह सुकुमारी भौजी पे टूट पड़ा।

इस बार मैं अपने लंड को भौजी के चूत पे रगड़ते, दूसरी ओर उनके निप्पल को दांतों से काटते हुए अपनी बहादुरी दिखाने का मौका ढूंढ रहा था।

मैं आहिस्ता-2 लंड को चूत में डालने की कोशिश करने लगा मगर चूत की सख्ती ने किये कराए पर पानी फेर दिया।

कुछ ही देर में दो-चार झटकों के बाद सुकुमारी भौजी के चूत के सारे दरवाजे मकड़ी के झाले की तरह हट गए।

इधर मेरे दोनों हाथ सुकुमारी भौजी की चूचियों पर उधर सुकुमारी भौजी का एक हाथ उनकी चूत की रगड़ में और दूसरा हाथ मेरे बालों को खींचते हुए।

मेरे लम्बे-2 झटकों से सुकुमारी भौजी का तन सिहर जाता।

मेरा पूरा लंड सुकुमारी भौजी की चूत गटक गई और दर्द ने सुकुमारी भौजी को रोने पे मजबूर कर दिया।

उन सुनसान खेतों में सुकुमारी भौजी की आवाज़ बहुत कटाह लग रही थी, मैंने अपने विजय रथ को यूँ ही कुछ देर तक जारी रखा।

कुछ देर बाद मेरी रफ़्तार में कई गुना बढ़ोत्तरी होने लगी और सुकुमारी भौजी भी मेरा भरपूर सहयोग देने लगी।

लगभग दस मिनट चलने के बाद मेरी बैटरी लो हो गई, उधर सुकुमारी भौजी भी।

हम लोग अभी एक दूसरे से लिपटे हुए थे।

‘एक बेर आउर…’ कहते हुए सुकुमारी भौजी मेरे होंठों को चूमने लगी।

मैं हैरान था मगर ताज्जुब की बात यह है कि 4 साल की वासना आज इस सिन में कैसे भड़क उठी?

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कई धक्के मारने के बाद मेरे लंड में चोटें आ गई थी मगर वासना अभी भी अतृप्त।

‘अबकी बार गांड मारेंगे?’

सुकुमारी भौजी ने हामी भर दी।

आखिर मेरी सफलता का मूल रहस्य इसी गांड से तो जुड़ा हुआ है।

इस बार फिर पूर्व की भांति सुकुमारी भौजी ने मेरा लंड मुंह में लेते हुए, बाहर-भीतर की क्रियशैली में मेरे मन को रिफ्रेश कर दिया।

इस बार तिगुनी उत्तेजना के साथ सुकुमारी भौजी ने मेरे विश्वास को जगाया।

वही मोटी गांड जो कुछ देर पहले तक मुझे ललचाती थी, वही आज मेरे मोटे लंड का शिकार बनने जा रही है।

मैंने भी उस सुकुमारी भौजी की मोटी गांड के चैलेंज को हाथों हाथ लिया और इतनी जोरदार ठुकाई की कि सुकुमारी भौजी की बिलखने की आवाज़ आधे मील तक सुनी जा सकती थी।

धीरे धीरे मैं सुकुमारी भौजी के बदन को शहद की तरह चाटते हुए अपनी जीत पर ख़ुशी मना रहा था उधर सुकुमारी भौजी अपनी साड़ी के प्लीट बना रही थी।

शाम होने वाली है, सुकुमारी भौजी ने कराहते हुए कहा- चैत में तुमसे झांट कटवायेंगे’